‘दू’ नंबर / शम्भुनाथ मिश्र
ई अछि बड़ हर्षक समाचार
‘दू’ अंकहिकेँ ‘राष्ट्रीय’ अंक
घोषित करबाकेर छै विचार
‘राष्ट्रीय फूल थिक कमल तथा पशुमे कहबै अछि व्याघ्र
पुनः पक्षीमे कहबय मोर
गानमे जन-गण-मन सामान्य ज्ञानकेर
पुस्तकमे परिभाषित अछि,
गंगा सेहो सब नदी मध्य ‘राष्ट्रीय’ महत्ता पौलनि अछि
धरि अंकक छै दुर्भाग्य अपन जे
कोनो अंक ‘राष्ट्रीय’ मध्य नहि जगहो अपन बनाय सकल
तेँ संविधानमे संशोधनकेर छै विचार
‘दू’ अंकहिकेँ ‘राष्ट्रीय’ अंक घोषित करबा लै सूरसार।
छै लोकतन्त्रमे ‘दू’ नम्बरकेर महिमा अपरम्पार अतः
हो कोनो तरहक काज, लाजकेँ छोड़ि
चलय ‘दू’ नंबर पर सौंसे समाज
आवाज बिना सर-सर भागल चल जैत कतहु
नहि रोक-टोक करतैक लोक
सब दू नम्बर केर छै कमाल
तेँ लोकतन्त्र रक्षार्थ बहुत आवश्यक थिक ई संशोधन
‘दू’ अंक होय ‘राष्ट्रीय’ अंक घोषित सबतरि
नेतागण भऽ कऽ एकजूट छथि एही चिन्तनमे लागल
जे संशोधन परमावश्यक
जखने संशोधन होयत आओत एक क्रान्ति
सब ‘दू’ नम्बरकेर काज एक नम्बरक काज कहबय लागत
हो कोनो तरहक फेँट-फाँट
अथवा कोनो हो लेन-देन
घोटाला अथवा लूटपाट
चिन्ता न कथुक रहतैक तखन
अछि स्वतः सिद्ध।
हो कोनो तरहक कदाचार
सब तखन कहाओत सदाचार
‘दू’ नम्बर आगू सब नचार
ई अछि बड़ हर्षक समाचार
‘दू’ अंकहिके ‘राष्ट्रीय’ अंक
घोषित करबाकेर हो विचार।