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…देखो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सूरज नै पजावण रो ढंग देखो !
रात सूती नागी-तडंग देखो !
पैली तो ओलै-छानै लड़ता म्है,
अब सड़कां माथै हुवै जंग देखो !
डुसकां सागै आया आंसू बारै,
मन-दुख री बात चढगी चंग देखो !
घराळा छोड मुलक ढूकै आंगणै,
दिल कितो दरियाव कित्तो तंग देखो !
आंधी नित निंदरावै खेतड़ला,
पण ऊगै औ बीज दबंग देखो !