भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
'तन्हा' तेरी बच्चों की सी ख़सलत न गई / रमेश तन्हा
Kavita Kosh से
'तन्हा' तेरी बच्चों की सी ख़सलत न गई
औरों को बुरा कहने की आदत न गई
माना कि नहीं दिल पे किसी का काबू
क्या दिल है अगर दिल से कदूरत न गई।