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'. . . जीत जाओगे एक दिन !!' / जंगवीर सिंंह 'राकेश'
Kavita Kosh से
अगर तुम बारीकियों को पकड़ रहे हो
तो सीख जाओगे एक दिन !!
हौसले से मंजिल पर बढ़ रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
समय की हवा उस रूख में बहने लगेगी
जिस दिशा में तुम होगे !
खुशियों की परछाईयाँ पीछे चलने लगेगीं
जिस जगह पे तुम होगे !
साफ नीयत से काम करोगे
तो काम भी तुम पर मरेंगे !!
अगर ज़मी-आसमां एक कर रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
ख़ामोशी के संग भी तुम
ख़ामोश मत रहना !!
हुस्न के नशे में हर दम
मदहोश मत रहना !!
अपनों को गैर मत करना
गैरों से बैर मत करना !!!!
अपनी मुश्किलों से जो लड़ रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
हुस्न इक निकासी है
आत्मज्ञान सर्वव्यापी है
ये बात जो समझ रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!