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`रेखाओं’ क्षणिकाएँ-1/रमा द्विवेदी
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१- रेखाओं की भी,
होती है एक इबारत,
पढ़ सको तो पढ़ लेना ।
२- रेखाएँ!
सोच-समझ कर खींचना
ये अभिशाप भी बन सकती हैं
और
वरदान भी ।
३- हस्त रेखाएँ,
बताती हैं भाग्य,लेकिन
क्या कोई सच में,
इन्हें पढ़ पाया है।
४- भाग्य रेखाएँ
यदि कोई पढ़ पाता
तब हर किसी का भाग्य,
सौभाग्य होता|
५- रेखाओं का समीकरण,
अक्षर की व्यतुपत्ति,
शब्द निर्माण,
और शब्द रचते हैं,
गीता,पुराण,
महाकाव्य और महाभारत।