मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे<ref>जलता है</ref> हे।
अरे ताहि कोहबर सुतलन कवन दुलहा,
बेनिया डोलाइ माँगे हे॥1॥
बेनिया डोलइते हे आवल<ref>आ गई</ref> सुखनीनियाँ।
रसे रसे<ref>धीरे-धीरे</ref> बीत गेलइ सउँसे<ref>समूची</ref> रँगे रतिया॥2॥
शब्दार्थ
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