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अंकुरण / अनिता भारती
Kavita Kosh से
मन की अंधेरी
कारा ने
छुपा लिया है
सूरज
माना कि आँधी ने
उड़ा दिया है सूरज को,
माना कि बिजली की
कड़कड़ाहट ने
अंकुरों में भर दिया है कंपन
पर ये नव अंकुर है
अब हर हाल में
इन्हें पेड़ बन
आसमान पर
छाना ही है...