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अंगारों को फूल बनाना, फ़न मेरा / मंजूर हाशमी
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अंगारों को फूल बनाना, फ़न<ref>कला, गुण</ref> मेरा
भरा रहा, हर मौसम में दामन मेरा
रात हुई थी छत पर बारिश चाँदी की
सुबह भरा था सोने से आँगन मेरा
उस के नाम का इक इक हर्फ़ चमकता है
उस के इस्म<ref>नाम</ref> से, हर रस्ता रोशन मेरा
खिला हुआ है फूल-सा चेहरा आँखों में
महक उठा है, ख़ुशबू से तन-मन मेरा
बारिश के, हर मौसम में, ये सोचता हूँ
शायद अब के आ जाये सावन मेरा
सब कहते हैं, बड़ा ख़ज़ाना निकलेगा !
कोई नहीं करता लेकिन मन्थन मेरा
अब इस उम्र में, देख के, कितना हैराँ हूँ
हमक<ref>उछलना</ref> रहा है घर में फिर बचपन मेरा
शब्दार्थ
<references/>