भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंग गीत / राजकुमार
Kavita Kosh से
बलि जी रोॅ बड़ोॅ बेटा, अंग रोॅ ऐंगनमां, सुन्दर लागै
अंगधातृ रोॅ नयनमां, सुन्दर लागै
प्रलय-सृजन-साखी, याँहीं छै, गरुड़ पाखी
आँखीं में जोगैनें राखी, प्रभु के चरणमां, सुन्दर लागै
अंगधातृ रोॅ नयनमां, सुन्दर लागै
शिव रोॅ उमंग अंग, काम छै भेलोॅ अनंग
रति-गति छै विहंग, ओढ़ी केॅ गगनमां, सुन्दर लागै
अंगघातृ रोॅ रोॅ नयनमां, सुन्दर लागै
कौशिकी-गंगा रोॅ पानी, अंग रोॅ अमर वाणी
जह्नु कहोल ऋषि शंृगी के सपनमां, सुन्दर लागै
अंगधातृ रोॅ नयनमां, सुन्दर लागै
जित्तोॅ बिहुला रोॅ गाथा, विक्रमशिला छै त्राता
बासुकी-मंदार धीर-वीर रोॅ गहनमां, सुन्र लागै
अंगधातृ रोॅ नयनमां, सुन्दर लागै