भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंग देश केरो संत, छेलै गुरु मेँहीँ बाबा / छोटेलाल दास
Kavita Kosh से
अंग देश केरो संत, छेलै गुरु मेँहीँ बाबा।
सुनि लेहो बाबा केरो, सुन्दर विचार हो॥
ईश्वर से नित डरो, आपनो कमाई करो।
घर-द्वार छोड़ो नहीं, नहीं परिवार हो॥1॥
नित सतसंग करो, तीनों काल ध्यान करो।
सब पाप परिहरो, गुरु के आधार हो॥
अपनाँ में मेल राखो, वचन मधुर भाखो।
‘लाल दास’ छोड़ो नहीं सद व्यवहार हो॥2॥