अंजना के फिकर नै दुनियां तै खोया रै / मेहर सिंह
वार्ता- सज्जनों पवन को जंगल में एक झेरे के पास अंगूठी मिल जाती है जो उसने अंजना को दी थी। उस अंगूठी को देखकर पवन को अंजना के मरने की तसली हो जाती है वह कैसे पश्चाताप के आंसू बहाता है-
अंगूठी नै देख पवन झेरे में रोया रै।
अंजना के फिकर नै दुनियां तै खोया रै।टेक
दुनियां मैं बदनाम हुया चाला करगी
रोंवता फिरूं जिन्दगी का घाला करगा
मुंह मेरा काला करगी, ना जाता धोया रै।
धक्के खाती फिरती होगी महेन्द्र सिंह की जाई
इसमैं मेरा दोष नहीं थी तेरी करड़ाई
कित्तै भी नहीं पाई, खोज मिलता ना टोहया रै।
दिल की प्यारी मिलगी तै उसके दिल नै डाटूंगा
दुखिया उस की ज्यान सै कुछ दुःख नै बाटूंगा
आगे वैसा काटूंगा, जैसा पाच्छै बोया रै।
माणस का के जीणा सै आदर मान बिना
दुनियां मैं गुजारा कोन्या हर के ध्यान बिना
मेहर सिंह सुर ज्ञान बिना, बृथ्या थूक बिलोया रै।