भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंटार्टिका का एक हिमखण्ड / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
अभी खड़ा था
यही कोई लाख वर्षों से
समुद्र की देह पर
चुपचाप
निहार रहा था हमें
हार-थक कर एक झटके में
वह टूटा
पिघला
और मिनटों में खो गया
समुद्र में ।