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अंतःकरण / हरीश करमचंदाणी
Kavita Kosh से
वह साहस
बहुत मुश्किल से आता हैं
आपके भीतर से कोई चीखता हैं
रुकना नहीं
जो होगा देखा जायेगा
आप ठिठक देखते हैं
कोई नहीं हैं
आसपास
साथ आपके
अकेले हैं
फिर भी रुकते नहीं
कोई हैं
संग बरसो से
जो पला बढा हैं
जो जानता हैं आपको
एक एक अंश
अणु अणु आपका
धड़कन आपके दिल की
वह हैं जो आपका अपना हैं
हिस्सा हैं आपका
आपके भीतर जो बैठा हैं
यूँ कह लो आप खुद हो
हाँ ,वही देता हैं
वह साहस