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अंतर्नाद / दिनेश कुमार शुक्ल

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अभी उड़ेंगे
कपोत इस जहाज से,
लौट भी आयेंगे
फिर यहीं

इस बीच
उनकी प्रतीक्षा का
अन्तर्नाद
फड़फड़ाता रहेगा किसी
हृदय के गुम्बद में