हे विप्रवर!
तू सदियों से
हमारी पीठ पर
कोड़े बरसा
खाल उधेड़ भूँसा भरता रहा
हम भी
तेरी सेवा में रह
मरे जानवर ढो
खाल उतार
चरण पादुकाएँ बनाते रहे,
चमड़ा उतारा
हम दोनों ने ही
फिर भी हम अकेले ही चमार,
और तू मंगता बामन
क्यों बना रहा?
हे विप्रवर!
तू सदियों से
हमारी पीठ पर
कोड़े बरसा
खाल उधेड़ भूँसा भरता रहा
हम भी
तेरी सेवा में रह
मरे जानवर ढो
खाल उतार
चरण पादुकाएँ बनाते रहे,
चमड़ा उतारा
हम दोनों ने ही
फिर भी हम अकेले ही चमार,
और तू मंगता बामन
क्यों बना रहा?