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अंतर / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
उड़ती चिड़िया को
हसरत से देखती है
पिंजरे की चिड़िया-आकाश में
कैसी आजाद
कैसी खुशहाल
उड़ान बस उड़ान
मौसम की चिंता से मुक्त
समय से दाना-पानी
देखभाल,सुकून
इतना सब-कुछ
सिर्फ पिंजरे में रहने के लिए
कितने मजे हैं-सोचती है चिड़िया आकाश की
सोचती है चिड़िया आकाश की
परों को हमेशा चलाते रहना
घर ना ठिकाना
कुंआ खोदना पानी पीना
बहेलियों से प्राण-भय,मौसम की मार
चुभना सबकी निगाहों में
इतना जोखम
सिर्फ आजाद रहने के लिए
उदास हो जाती है चिड़िया
आकाश की
उड़ती चिड़िया क्या जाने
दुःख
पंख ना फैला पाने का।