भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंतस में बसा है / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


तोप के गोलों से
धराशाई हो गई छतें
घुटनें टेक दिए दीवारों ने
जमींदोज हो गए
जल-कुण्ड
खंडहर में बदल गया
समूचा गाँव
मगर यहाँ से कोसों दूर
ऐसे लोग भी हैं
जिनके अंतस में
आज भी आबाद है
वही
भरा-पूरा गाँव।