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अंधकार / कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल
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अंधकार का भारी जंगल
मेरे जग पर मौन खड़ा है
छाया-छल की छतरी ताने
सबको ढाँके