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अंधेरी रात के तारों में ढूंढना मुझको / कुमार नयन

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अंधेरी रात के तारों में ढूंढना मुझको
मिलूंगा दर्द के मारों में ढूंढना मुझको।

चला हो ज़ुल्म की जो सल्तनत से टकराने
उसी जुलूस के नारों में ढूंढना मुझको।

मिरे नसीब में लिक्खी नहीं है तन्हाई
जो ढूंढना तो हज़ारों में ढूंढना मुझको।

मैं दुश्मनों के बहुत ही क़रीब रहता हूँ
समझ के सोच के यारों में ढूंढना मुझको।

ख़ुदा क़सम ये तुम्हारी ही भूल है यारो
नज़र नवाज़ नज़ारों में ढूंढना मुझको।

फ़क़त गुलों की हिफाज़त का काम ही है मिरा
चमन में जाना तो ख़ारों में ढूंढना मुझको।

जहां कहीं भी मिले ज़िन्दगी मिलूंगा वहीं
धड़कते दिल के दयारों में ढूंढना मुझको।

पहुंच गया हूँ मैं इंसानियत की बस्ती में
दुसाध डोम चमारों में ढूंढना मुझको।