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अंवेरण मांय सुख / नीरज दइया
Kavita Kosh से
थारी अर म्हारी
ओळख रो अरथाव
अबै फगत ओळूं है।
ओळख नै सांपरतै बिसराय’र
ओळूं-गांठड़ी बांधण रा लखण
हाफी-हाफी आ जाया करै है
मिनख नै।
भायला, ऐड़ी ओळख
जिण रो दरद
आपां खातर एक मिठास हुवै
एक मोड़ मुड़्यां पछै
फगत अंवेरण मांय ई’ज
हुया करै है- सुख।