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अउर केतने दिनन तुम्हरे हाँथ मा ख्याला करी / प्रदीप शुक्ल

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अउर केतने दिनन तुम्हरे हाँथ मा ख्याला करी
औ तुमरहे नाम की दिनु राति हम माला करी
साठि सालन ते वहै बस झुनझुना पकड़े रहेन
अब सुनामी पर सवारी ना करी तो का करी!!