भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अकाट्य है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
अकाट्य है :
जन्म पाकर जिए जाने का यह तर्क :
पहाड़ पर
शिलांत तक जड़ें गाड़कर
वनस्पतियों के हरियाने का यह तर्क
रचनाकाल: २०-०३-१९६२