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अकादमी मे दलित / तारानंद वियोगी
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अकादमी मे दलित
जेना अन्हरिया मे बिजलौका।
सम्हरि क' भैया जोगी, सम्हरि क'।
बड छलह काबिल तें लेलखुन
से नहि बझिहह,
यस सर यस सर करबहुन
तै भरोस पर उठेलखुन।
हौ बाबू,
हुनकर तॅ आत्मा उस्सर भेलनि,
ततेक मिलौलखिन खाद
आब तों देखाबिहह जे तोरा प्राण मे
पंच-परमेश्वर कते आबाद।
सम्हरि क' भैया मोरे सम्हरि क'
काल्हियो कहै छलखुन--
अकादमी मे दलित, माने की?
गोसाउनि-घर मे चाली।