भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अकाल-1 / राजा खुगशाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नीले अंतर्देशीय पर
टिड्डों की तरह छाए हैं
आड़े और तिरछे अक्षर
 
पिता का पत्र आया है
अकाल के बारे में लिखा है पिता ने

लिखते हैं
पेड़ों पर फल नहीं आए इस साल
खेतों में सूख गई फसल
सुरंगों में मोड़ दी गई नदी
गांव के आसमान से
बिना बरसे ही निकल जाते हैं बादल।