भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अकाल राहत (2) / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
हाजरी काटे
या जाने दे
सुरसती बुआ की उमर है
सत्तर पार
अकाल राहत के नियम मुजब
मना है साठ पार बुढिय़ा को
काम पर लगाना
कही मर-मरा जाए तो
मुसीबत हो।
काम नहीं तो
मजदूरी नहीं
फिर कहाँ से जुटाएगी
सुरसती बुआ
दो वक्त की रोटी
चार बार नसवार।
राम तो रूठा
राज से बची है आस
असमंजस में
ग्रामसेवक जी
हाजरी काटे
या जाने दे।