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अकाल / महेंद्रसिंह जाडेजा

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वह गाँव से भागा ।
ऊपर की साँस ऊपर रखकर भागा ।

जिन गायों और बैलों ने
खेतों में अनाज उगाया था
वे ही गाय और बैल
बिना घास के तड़पकर मर रहे थे

और नगर-नगर गोदाम
अनाज से छलक रहे थे ।

तब, जंगल का अस्थिपंजर
मृत्यु के अंधकार की जुगाली कर रहा था
और
नगर के नगर
चाकलेट, आइसक्रीम, शक्कर,
घी, दूध, गुड़ से छलक रहे थे ।

वह ऊपर की साँस ऊपर रखकर
भागता जा रहा था,
उसके पीछे बज रहे थे
शादी के गीत पर गीत
और वहाँ जब
तड़पती गायों के मांस को
गिद्ध खा रहे थे
तब
आइसक्रीम खाते चेहरे
बात कर रहे थे_
"इस बार का अकाल तो...."

वह ऊपर की सांस ऊपर रखकर
भाग रहा था.
किस तरफ़ ?


मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : क्रान्ति