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अक्लमंदी / शर्मिष्ठा पाण्डेय

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ये सबक अक्लमंदी के सीखे हैं शपा ने
हों जब जवाब सारे,सवालात कम करें

ये कुर्बतें ही सारी मुसीबत का हैं सबब
ऐसा करें की दोनों मुलाकात कम करें

धुंधली सी हुई जा रही कम उम्र में नज़र
आँखों से बेमौसम की ये बरसात कम करें

इक पल में सुलझ जायेंगी सारी ही गुत्थियाँ
मजहब के नाम पर के,मुश्किलात कम करें

कम बोलेंगे और सुनेंगे तो समझेंगे ज्यादा
सरकारी दफ्तरों के से,हालात कम करें

आओ ना भूखे पेटों को रोटी का चैन दें
अब फूल,तितलियों की ज़रा बात कम करें

लाखों,हजारों में कोई एक,'ख़ास' है होता
हर इक के लिए एक से ज़ज्बात कम करें