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अक्षर ज्ञान / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
'अ' अनार और 'आ' से आओ हिल मिल गायें गीत
'इ' इंसानों का हो आदर 'ई' ईश्वर से प्रीत।
'उ' से उठना रोज सवेरे 'ऊ' से ऊँघ न जाना।
'ए' से एक बार ईश्वर को झुक कर शीश नवाना
'ऐ' ऐनक दादा जी का और 'ओ' से ओम पुकारो
'औ' औरत ममता की मूरत तन मन उस पर वारो।
'अं' अंगूर अनोखा फल है स्वास्थ्य बनाने वाला।
स्वस्थ शरीर सदा से होता है बुद्धि का रखवाला।
आओ हम सब मिलकर बोलें - अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ:।
'ऐ' के बाद सदा 'ऋ' आता इस से ऋषि बनता है
ईश भक्त वेदों का ज्ञाता पूज रही जनता है॥