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अक्षर है प्रेम / नवनीत पाण्डे
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					अक्षर है
प्रेम
क्षरते हैं 
प्रेम के आग्रह
प्रेम के आश्रय 
आलंब-अवलंब
नहीं होती भाषा 
कोई व्याकरण
पाठशाला
प्रेम की....
फ़िर भी 
पूरे आवेग के साथ
पढा, पहचाना, 
जाना जाता है
व्याप जाता है 
प्रेम
जहां भी
होता है 
प्रेम!
	
	