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अक्सर हमारे ही साथ ऐसा होता / तारा सिंह
Kavita Kosh से
अक्सर हमारे ही साथ ऐसा होता क्यों है
हम जिसका भला चाहते, वह बुरा चाहता क्यों है
गजब की दुनिया है,इन्सां को इन्सां की कद्र नहीं
फ़िर भी फ़रिश्ता यहाँ आना चाह्ता क्यों है
सुनाने काबिल थी जो बात, सुनाया नहीं
आज उसी बात को सुनाने वह रोता क्यों है
पता है,चारा-ए-गम उल्फ़त की मिलती नहीं दवा
फ़िर भी आदमी नक्शे-मुहब्बत पर चलता क्यों है
नजर आता नहीं खते तकदीर, कैसा होगा वह
लौह और कलम, आदमी देखना चाहता क्यों है
मुहब्बत में नहीं फ़र्क जीने और मरने में,तुम्हारी
तप-हिज्रा की गर्मी है बड़ी तेज, कहता क्यों है