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अक्सर / सुशान्त सुप्रिय
Kavita Kosh से
एक युद्ध से
दूसरे युद्ध तक ही होती हैं
सभी कैमरों की यात्राएँ
इसलिए शांति की तस्वीर
अक्सर कोई नहीं लेता
एक चमक से
दूसरी चमक तक ही जाती हैं
सभी दृष्टियाँ
इसलिए सादगी अक्सर
अनदेखी रह जाती है
एक चीख़ से
दूसरी चीख़ तक ही सुनते हैं
सभी कान
इसलिए मौन की धड़कनें अक्सर
अनसुनी रह जाती हैं
एक मिथक-गाथा से
दूसरी मिथक-गाथा तक ही जा पाती है
हर सभ्यता और संस्कृति
इसलिए जीवन के कटु सत्य अक्सर
किंवदंतियों के बाहर रह जाते हैं