अखण्ड हल्ला बोल पद्धति / संजय चतुर्वेद

रामदेव का मज़ाक उड़ाइओ
रामदेव को गलियँ दीजिओ
देते रहिओ
उसने कुछ अच्छा किया तो उधर न जाइयो
उसके श्रम योगदान और लोकदृष्टि को मत देखियो
ये भी मत देखियो
कि जो हमसे न हो पाया उसमें से कुछ उसने कर दिखाया
दिमाग़ के ढक्कनों को बन्द रखियो
अपने असली दुश्मन को पहचानिओ
रामदेव जो करे उसका विरोध करिओ
रामदेव पैरों से चले
तुम हाथों से चलिओ
रामदेव योग की बात करे
तुम व्यभिचार का समर्थन करिओ
रामदेव मुँह से रोटी खाए
तुम नाक से खाना शुरू करिओ
रामदेव जब नशामुक्ति पर जाए
तुम बाटली पे लगिओ
लगिओ क्या
आदिकाल से लगे हो - लगे रहिओ
बाटली ही उड़ानझल्लों का जज़ीरा है
वहीं पे प्रगति और प्रतिबद्धता का ख़मीरा है
समाज से तो हमारा कुछ लेना-देना था नहीं
ज़ुबानदराज़ी ज़ुरूर हमने पुराने ’समाजवादियों’ से सीख ली
और ऐसा ’समाजवाद’ दुनिया में और कहीं हुआ भी नहीं
और ग़रीब देश हमेशा ग़रीब देश ही बने रहें
इस अखण्ड हल्ला बोल संकीर्तन में
हमें ध्यान ही नहीं रहा
कि सौ दो सौ आधे अधूरे रामदेव भी
हमने अपने बीच पैदा कर लिए होते
तो यूं बेआबरू होकर
हिन्दी पट्टी से
जीतते हुए मार्क्सवाद की मय्यत न उठती
फिर मार्क्सवाद है किस पिद्दी चिड़िया का नाम
हमारे हाथ में वो शफ़ा
कि समझदारी पर हाथ रख दें तो उसकी मय्यत उठा दें
बेवजह फूले हुए मुँह जैसा
एक बेवजह फूला हुआ इतिहास रखना
और उससे कुछ भी न सीखना
कोई हमसे सीखे ।

2016

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