♦ रचनाकार: अज्ञात
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अखरे गोबर से सासु अंगना नीपलियै
ओहि चढ़िनाहियाबहु भैया के बटिया,
सासु जेबै नैहरबा ओहि चढ़ि ना ।
काटबै सामल सीकिया,
बेढयै जमुनमा ओहि चढ़ि ना ।
सासु जेबै नैहरबा ओहि चढ़ि ना ।।
एक चेहरि खेबल रे मलहा दुई चेहरि खेबले
तेसर चेहरि डूबलै भैया के बहिनो है कि ।
ओहि चढ़ि ना ।
अम्मा जे सुनतै रे मलहा कोसी घंसि मरतै रे कि,
बाबा जे सुनतै रे मलहा धरती लोटेतै हे कि,
भैया जे सुनतै रे मलहा जाल बाँस खिरेतै रे कि
भौजी जे सुनतै रे मलहा भरि मुँह हँसतै रे कि
भने ननदो डूबली रे की ।
ओहि चढ़ि ना ।