भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अखाढ़ / यात्री

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उठलइ बेश बिहाड़ि
ताहि पर झपलक मेघ आकाश
??धि लेलक दम पुरबा-पछबा
सृष्टि भेल निस्तब्ध
गड़गड़ गड़ गड़ गुड़म गड़ म गुम...
गरजल इन्द्रक हाथी
छाड़ि नचारी गाबए लगाला गिरहथ लोकनि मलार
प्रमुदित दूबिक सीर - सीर
अछि पुलकित कूशक पेंपी
बगए बदलि गेलइक माटि केर
पानि भेल मटमैल
एकार्णवा करह पृथिवीकेँ
आबऽ हे आखाढ़!
आबऽ हे आखाढ!