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अगडू़-झगडू़ / होरीलाल शर्मा 'नीरव'

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आजू-राजू दोनों
दो-दो गुब्बारे ले आए

माँ को पास बिठाकर
अगडू़-झगडू़ दो बनवाए।

पेट बड़ा-सा, छोटा-सा सिर
बिल्कुल ढीलम-ढालू,

जैसे लाल टमाटर पर हो
रक्खा छोटा आलू।

निकली तब तक हवा पिचककर
गिरे भूमि पर झगडू़,

रहे देखते बड़ी देर तक
आँखें फाड़े अगडू़।