अगर आप होते भुलाने के क़ाबिल / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
अगर आप होते भुलाने के क़ाबिल ,
तो होते कहां दिल लगाने के क़ाबिल !
वो वादा तुम्हारा , भरोसा हमारा ,
लगे कब हमें टूट जाने के क़ाबिल !
बसी है जो आंखों में तस्वीर तेरी ,
नहीं आंसुयों से मिटाने के क़ाबिल !
अँधेरे जुदाई के कुछ कम तो होते ,
जो होते तेरे ख़त जलाने के क़ाबिल !
मुहब्बत की शायद हक़ीक़त यही है ,
कि शै है ये सपने सजाने के क़ाबिल !
सनम मुझ को मंज़ूर मरना ख़ुशी से ,
बने मौत लेकिन फ़साने के क़ाबिल !