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अगर ऐसी सड़क से गुज़रो / महमूद दरवेश

Kavita Kosh से
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अगर तुम किसी ऐसी सड़क से गुज़रो जो नरक को न जा रही हो,
कूड़ा बटोरने वाले से कहो, शुक्रिया!

अगर ज़िंदा वापस आ जाओ घर, जैसे लौट आती है कविता,
सकुशल, कहो अपने आप से, शुक्रिया !

अगर उम्मीद की थी तुमने किसी चीज की, और निराश किया हो तुम्हारे अंदाज़े ने,
अगले दिन फिर से जाओ उस जगह, जहाँ थे तुम, और तितली से कहो, शुक्रिया!

अगर चिल्लाए हो तुम पूरी ताक़त से, और जवाब दिया हो एक गूँज ने, कि
कौन है ? पहचान से कहो, शुक्रिया!

अगर किसी गुलाब को देखा हो तुमने, उससे कोई दुःख पहुँचे बग़ैर ख़ुद को,
और ख़ुश हो गए हो तुम उससे, मन ही मन कहो, शुक्रिया!

अगर जागो किसी सुबह और न पाओ अपने आस-पास किसी को
मलने के लिए अपनी आँखें, उस दृश्य को कहो, शुक्रिया!

अगर याद हो तुम्हें अपने नाम और अपने वतन के नाम का एक भी अक्षर,
एक अच्छे बच्चे बनो!
ताकि ख़ुदा तुमसे कहे, शुक्रिया!

अंग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल