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अगर कड़वे मुँह से / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
अगर तुम कड़वे मुँह से कहते हो
मीठे शब्द, तो यह दुनिया
न तो मीठी होगी न और कड़वी हो जाएगी ।
और अल-क़िताब में लिखा है कि हमें डरना नहीं है ।
और यह भी लिखा है कि हमें बदलाव लाना है,
शब्दों की तरह,
भविष्य और अतीत में,
बहुवचन में या अकेले ।
और जल्द ही आनेवाली रातों में,
हम सामने आएँगे, टहलते खिलाड़ियों की तरह
एक-दूसरे के सपने में ।
और इन सपनो में
ऐसे अजनबी भी आएँगे
जिन्हें हम दोनों नहीं जानते हैं ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य