Last modified on 19 जुलाई 2019, at 13:02

अगर कड़वे मुँह से / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य

अगर तुम कड़वे मुँह से कहते हो
मीठे शब्द, तो यह दुनिया
न तो मीठी होगी न और कड़वी हो जाएगी ।

और अल-क़िताब में लिखा है कि हमें डरना नहीं है ।
और यह भी लिखा है कि हमें बदलाव लाना है,
शब्दों की तरह,
भविष्य और अतीत में,
बहुवचन में या अकेले ।

और जल्द ही आनेवाली रातों में,
हम सामने आएँगे, टहलते खिलाड़ियों की तरह
एक-दूसरे के सपने में ।

और इन सपनो में
ऐसे अजनबी भी आएँगे
जिन्हें हम दोनों नहीं जानते हैं ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : उज्ज्वल भट्टाचार्य