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अगर कहीं ऐसा हो जाए / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
अगर कहीं ऐसा हो जाए,
सचमुच खूब मजा आ जाए!
जंगल में शाला खुल जाए
भालू बस्ता लेकर आए,
शेर बबर कुर्सी पर बैठा
उसको गिनती रोज सिखाए।
हाथी ले अखबार हाथ में
समाचार पढ़कर बतलाए!
अगर कहीं ऐसा हो भाई,
जंगल भी प्यारा बन जाए!
पेड़ों पर पैसे लगते हों
रसगुल्ले हों डाली-डाली,
खाएँ-पीएँ मौज करें हम
नाचें और बजाएँ ताली!
सूरज धरती पर आ जाए
सबको बिस्कुट-केक खिलाए,
अगर कहीं ऐसा हो जाए
हर दिन दीवाली बन जाए!
दौड़ चाँद तक पैदल जाएँ
मंगल ग्रह की सैर करें हम,
वहाँ-वहाँ पर घूमें-घामें
जहाँ-जहाँ हो बढ़िया मौसम।
ऋतुओं का राजा अलबेला
हर दिन मीठे रंग छलकाए!
अगर कहीं ऐसा हो भाई,
सचमुच सबके मन को भाए!