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अगर कहीं / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
आसमान में बजे बाँसुरी
धरती सारी झूमे-गाए,
अगर कहीं ऐसा हो भाई,
सचमुच खूब मजा आ जाए!
तारे धरती पर आ जाएँ
चाँद उतर आए आँगन में,
नन्हे-नन्हे सूरज पैदा
हों पृथ्वी पर, वन-उपवन में।
पेड़ों पर पैसे लगते हों
रसगुल्ले हों डाली-डाली,
जगह-जगह नदियाँ-पर्वत हों
हो सब धरती पर हरियाली।
चंद्रलोक में पैदल जाएँ
सूर्यलोक की सैर करें हम,
वहाँ-वहाँ पर घूमें-घामें
जहाँ-जहाँ हो बढ़िया मौसम।
फूलों जैसी हों मुसकानें
नदी सरीखा हर दिल गाए,
अगर कहीं ऐसा हो भाई,
सचमुच, सबके मन को भाए!