भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अगर जानती गाना तितली / सुरेश विमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अगर जानती गाना तितली।

लिए तानपुरा फिरता
तब पवन बाग़ में
पत्तों का तबला भी
बजता संग राग में।

कान फूल सब लगवा लेते
अगर जानती गाना तितली।

मोर नाचता पैरों में
घुंघरू बंधवा कर
डेरा वहीं डालता
काला भौंरा जा कर।

अजब हाल कोयल का होता
अगर जानती गाना तितली।