भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगर तुम्हें पसंद आईं मेरी कविताएँ / ई० ई० कमिंग्स
Kavita Kosh से
अगर तुम्हें पसंद आईं मेरी कविताएँ,
तो उनको चलने देना, शाम के समय,
अपने से दो क़दम पीछे।
फिर लोग कहेंगे
"इस रास्ते पर हमने देखा था इक राजकुमारी को
जाते हुए अपने प्रेमी से मिलने (बस रात होने
ही वाली थी) और उसके संग-संग था, एक लम्बा और मूर्ख दास।"
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अखिल कत्याल