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अगर तुम युवा हो-3 / शशिप्रकाश

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जहाँ स्‍पन्दित हो रहा है बसन्‍त
हिंस्र हेमन्‍त और सुनसान शिशिर में
वहाँ है तुम्‍हारी जगह
अगर तुम युवा हो !

जहाँ बज रही है भविष्‍य-सिम्‍फ़नी
जहाँ स्‍वप्‍न-खोजी यात्राएँ कर रहे हैं
जहाँ ढाली जा रही हैं आगत की साहसिक परियोजनाएँ,
स्‍मृतियाँ जहाँ ईंधन हैं,
लुहार की भाथी की कलेजे में भरी
बेचैन गर्म हवा जहाँ ज़ि‍न्‍दगी को रफ़्तार दे रही है,
वहाँ तुम्‍हें होना है
अगर तुम युवा हो !

जहाँ दर-बदर हो रही है ज़ि‍न्‍दगी,
जहाँ हत्‍या हो रही है जीवित शब्‍दों की
और आवाज़ों को क़ैद-तनहाई की
सज़ा सुनाई जा रही है,
जहाँ निर्वासित वनस्पतियाँ हैं
और काली तपती चट्टानें हैं,
वहाँ तुम्‍हारी प्रतीक्षा है
अगर तुम युवा हो !

जहाँ संकल्‍पों के बैरिकेड खड़े हो रहे हैं
जहाँ समझ की बंकरें खुद रही हैं
जहाँ चुनौतियों के परचम लहराए जा रहे हैं
वहाँ तुम्‍हारी तैनाती है
अगर तुम युवा हो ।