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अगर तुम साथ हो / कैलाश झा 'किंकर'

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अगर तुम साथ हो
कहीं पर रात हो।

सफर आसां बने
तो मंज़िल पास हो।

तुम्हीं कविता-ग़ज़ल
तुम्हीं संसार हो।

मचलते ख़्वाब के
तुम्हीं आधार हो।

सदा हँसते रहें
तो दुनिया ख़ास हो।

मुहब्बत के लिए
दिलों में प्यार हो।