अगर मुझको इक बार उससे मिला दो / राहुल शिवाय
लुटा दूँगा तुझपर बची ज़िंदगानी
अगर मुझको इक बार उससे मिला दो।
कहाँ खो गए मेरे सपने सलौने
कहाँ खो गया उसपे अधिकार मेरा,
रखा जिसको दिल में, नयन में बसाया
हुआ काँटों जैसा वही प्यार मेरा।
सनम को बता के ये पैगाम दिल का
कोई प्यार की फिर कली को खिला दो।
मिली वह नहीं जब मुझे जिं़दगी में
मिले स्वर्ग का सुख तो बेकार होगा,
जिसे रात औ नींद से ही हो अनबन
उसे खाट, तकियों से क्या प्यार होगा।
नहीं चाँदनी रात की है जरूरत
मिलन-आस का कोई दीपक जला दो।
सनम की प्रतीक्षा में मैं जी रहा हूँ
कभी तो मेरा पूर्ण विश्वास होगा,
अभी तो समय है शिशिर का, है पतझड़
इसे बीतने दो तो मधुमास होगा।
सुधा की है चाहत नहीं इस हृदय को
मुझे ‘प्राण’-हाथों से विष ही पिला दो।