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अगर मैं सच कहूँ ऐसा था पहले / विवेक बिजनौरी

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अगर मैं सच कहूँ, ऐसा था पहले,
वही रब था, वही दुनिया था पहले

मुझे क्यूँ गैर जैसा लग रहा है,
वही इक शख़्स जो मेरा था पहले

जो मेरी जान का दुश्मन बना है,
मुझे वो जान ही कहता था पहले

मेरी आँखों के अंदर मर गया है,
वही इक ख़्वाब जो जिंदा था पहले

ये जो ख़ामोश सा इक आदमी है,
बड़ा शैतान सा बच्चा था पहले

वो जिसको आप पत्थर कह रहे हैं,
हक़ीक़त में वही टूटा था पहले

ये जो सूखी हुई आँखें हैं मेरी,
यहाँ अश्कों का इक दरिया था पहले

लगाई है सियाही दीपकों ने,
मेरा कमरा बड़ा उजला था पहले

ये मेरा हाल जो है, इश्क़ से है,
हाँ, मैं सच में बहुत अच्छा था पहले