भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगर साँवरे ने बुलाया न होता / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
अगर साँवरे ने बुलाया न होता।
दरश भक्त ने उसका पाया न होता॥
धनी हो न पाता दरिद्री सुदामा
गले श्याम ने यदि लगाया न होता॥
न सुनता अगर टेर गज की कन्हैया
उसे ग्राह-मुख से बचाया न होता॥
न गणिका जगत सिंधु से मुक्ति पाती
जो हरि नाम शुक को पढ़ाया न होता॥
न पद्मावती अग्नि का ताप सहती
जो दरपन में मुखड़ा दिखाया न होता॥