भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगला गारी रुनुरुुनु गे, पछला गारी गे खाली / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
दुलहन के साथ उसके घर से कोई नहीं आया। प्रस्तुत गीत में उसके साथ कुत्ते, बिलार और चूहे के आने की बात कहकर व्यंग्यपूर्ण परिहास किया गया है।
अगला गारी रुनुरुुनु गे, पछला गारी गे खाली।
तोर कुलें<ref>कुल में; वंश में</ref> भैया नाहिं गे, कुत्ता ऐलौ<ref>आया</ref> गे सँगे॥1॥
अगलाा गारी रुनुझुनु गे, पछला गारी गे खाली।
तोर कुलें चाचा नाहिं गे, बिलबा<ref>बिलार</ref> ऐलौ गे सँगे॥2॥
अगला गारी रुनुझुनु गे, पछला गारी गे खाली।
तोर कुलें बाबा नाहिं गे, मूसा<ref>चूहा</ref> ऐलौ गे सँगे॥3॥
शब्दार्थ
<references/>