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अगहन - १ / ऋतु-प्रिया / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’
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अगहनक अति सुखद सुन्दर मास
बाध मे लहलह करइ छल
धनपतिक सौभाग्य अविकल
छल जनिक मधु-सिक्त कोमल
ओष्ठ, मुखरित हास
अगहन अति सुखद मास
किल किल कय हँसि रहलि छलि
मधर मिहिरक माँझ निश्चित
चंचला श्री
शान्त सूतलि कोर मे वसुधाक
नील-पट पर खचित हीरा
चन्द्रिका बरख करइ छलि सतत मानु सुधाक
डारि पर हेमन्त झूलय
सभक घर-घर पवन बूलय
हाथ लय मरहीक मौनी
हँसय निर्धन बाल
जे बितौलक राति दिन सहि
अति दुखद कातिक सृदश
ओ काल अति विकराल
तकर जीवन मे मुखर अछि हास
अगहनक अति सुखद सुन्दर मास