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अगूण गोखै ऊभी बडभागण देखो / सांवर दइया
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अगूण गोखै ऊभी बडभागण देखो
लोटो ढाळै आ भोर सुहागण देखो
ऐ रसिया, बोलो तो आंनै कुण बरजै
बांरू मास रंग रच्यो फागण देखो
धरती कारखानै री सीटी सुण परो
औ सूरज लाग्यो पाछो भागण देखो
समंदर छोड नित आणो पडै़ पाछो
रात-रात भर देवै आ जागण देखो
घूम-घूम सूरज जग नै बांटै उजास
अठै सूं टुर्यो आ ठौड़ सागण देखो